24 अक्टूबर 2025 को Piyush Pandey का 70 साल की उम्र में निधन हो गया। वे भारतीय विज्ञापन के सबसे पहचाने जाने वाले नामों में थे, Ogilvy से गहरी पहचान थी, और उनकी खासियत थी आम लोगों की भाषा में दिल छू लेने वाली कहानी कहना। यह खबर मायने रखती है, क्योंकि उनके काम ने एड्स को देसी सादगी, गर्मजोशी और यादगार ह्यूमर दिया।
आगे हम तीन हिस्सों में बात करेंगे, क्या हुआ और आधिकारिक जानकारी, उनकी विरासत और कुछ आइकॉनिक कैंपेन, इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया और हमारी सीख। रास्ते भर एक बात साफ रहेगी, उनके आइडिया बड़े थे, लेकिन भाषा बहुत सीधी।
Highlights

खबर क्या है: Piyush Pandey passes away at 70
कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Piyush Pandey अब हमारे बीच नहीं रहे। उम्र 70 साल, तारीख 24 अक्टूबर 2025, और सुबह के वक्त खबर सामने आई। शुरुआती जानकारी के मुताबिक यह दुखद समाचार परिवार और करीबी स्रोतों के जरिए पुष्टि हुआ।
घटना की रिपोर्टिंग कई बड़े प्रकाशनों ने की है। शुरुआती कवरेज में टाइम्स ऑफ इंडिया ने साफ लिखा कि वे 70 साल की उम्र में चल बसे। संदर्भ के लिए देखें, TOI की रिपोर्ट। इसी तरह, द हिंदू ने भी उनकी विदाई की पुष्टि की और उन्हें विज्ञापन जगत का दिग्गज बताया, The Hindu की खबर में विस्तार से नोट है।
बीमारी को लेकर जो बातें सामने आईं, वे सीमित और संवेदनशील हैं। नीचे अलग हेडिंग में संक्षेप है, बिना अटकलबाजी के।
करियर की बात करें, वे लंबे समय तक Ogilvy & Mather India में नेतृत्व में रहे। Co-Executive Chairman और National Creative Director के तौर पर उनकी भूमिका ने कई टीमों और ब्रांड्स की सोच दिशा दी।
तारीख और पुष्टि: 24 अक्टूबर 2025
24 अक्टूबर 2025 को उनके निधन की पुष्टि हुई। यह जानकारी परिवार और विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट्स से आई। Piyush Pandey को जानने वाले लोगों ने गरिमा के साथ शोक व्यक्त किया।
बीमारी की जानकारी: निमोनिया, लंबा कोमा
रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें निमोनिया हुआ था। जटिलताएँ बढ़ीं, और वे करीब एक महीने कोमा में रहे। चिकित्सा से जुड़ी अतिरिक्त बातें साझा नहीं की गईं, और निजी जानकारी का सम्मान किया गया।
परिवार और करीबी: शोक और गरिमा
परिवार की ओर से शांति और गोपनीयता की अपील रही। उनकी बहन Ila Arun से जुड़ी खबरें आईं, पर निजी विवरण साझा नहीं किए गए। दोस्तों और साथियों ने सम्मान, याद और सहयोग का भाव रखा।
करियर रोल: Ogilvy में नेतृत्व की भूमिका
उन्होंने Ogilvy & Mather India में Co-Executive Chairman और National Creative Director के तौर पर काम किया। उनकी लीडरशिप ने टीमों को सरल सोच की तरफ मोड़ा और नए टैलेंट को मंच दिया। क्रिएटिव दिशा, सीख और भरोसा, यह तीन चीजें उनकी पहचान रहीं।
विरासत: Piyush Pandey ने भारतीय विज्ञापन की भाषा बदल दी
Piyush Pandey ने एड्स में देसी इनसाइट, साफ भाषा और मानवीय कहानी को जगह दी। उनके काम में शहर के शोर के साथ गाँव की मिट्टी की खुशबू भी थी। यही वजह है कि उनके एड्स घरों में, दुकानों में, क्रिकेट मैचों के बीच, हर जगह याद आते रहे।
वे ब्रांड को इंसान जैसा ट्रीट करते थे। किरदार बनाते थे जो आपको अपने जैसे लगें। ह्यूमर हल्का और सच्चा रखते थे, जिससे मेसेज दिल में उतर जाए। इस स्टाइल ने टीवी और डिजिटल, दोनों स्क्रीन पर भरोसा कमाया।
आइकॉनिक कामों की सूची लंबी है। एक अच्छा संदर्भ, India Today का ट्रिब्यूट, जिसमें Fevicol, Cadbury और Asian Paints जैसे ब्रांड्स का जिक्र है। अलग नजर से देखने के लिए Mint का संक्षेप भी काम का है।
यह स्टाइल आज भी सीखने लायक है। कम शब्द, गहरी बात, और इंसानी टच। यही उनकी असली विरासत है।
आइकॉनिक कैंपेन: Fevicol, Cadbury, Asian Paints
- Fevicol: देसी सेटिंग, रोजमर्रा की चीजें, और मुस्कान लाता ह्यूमर। कहानी इतनी सरल कि बच्चा भी समझे, और इतनी पक्की कि याद रहे।
- Cadbury: खुशी, खेल, और मीठा जश्न। भावनाएँ सामने रहती थीं, प्रोडक्ट पीछे से साथ देता था। इस बैलेंस ने ब्रांड को घर का हिस्सा बना दिया।
- Asian Paints: घर, रंग और रिश्तों की गर्माहट। किरदार साधारण, पल सच्चे, और मेसेज साफ। नतीजा, ब्रांड याद भी रहा और पसंद भी।
स्टाइल: सादा शब्द, गहरी इनसाइट, मजबूत कहानी
वे आम लोगों की बोली में बात करते थे। रोजमर्रा के पलों से आइडिया उठाते थे, जैसे त्योहार, मोहल्ला, या परिवार की नोकझोंक। एक्टिव वॉइस, छोटे वाक्य, और साफ हुक, यही उनकी कॉपी का ढांचा था।
Rishabh Tandon Died At 35: ‘फकीर’ की शांत विदाई, संगीत की यादें बाकी
लीडरशिप: टीम बनाना और टैलेंट को आगे लाना
वे सिर्फ कॉपीराइटर नहीं, मेंटर भी थे। ब्रीफ साफ रखते थे, फीडबैक ईमानदार देते थे, और क्रेडिट बांटते थे। टीमों को वे यह सिखाते थे कि आइडिया बड़ा रखो, बाकी सब अपने आप फिट होगा।
सम्मान: Padma Shri 2016 और कई अवॉर्ड
उन्हें 2016 में Padma Shri मिला। देश और विदेश के मंचों पर उनके काम की सराहना हुई। इंडस्ट्री ने उन्हें लगातार एक भरोसेमंद आवाज माना।

इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया और हमारी सीख: Piyush Pandey की याद में आगे का रास्ता
इंडस्ट्री, एजेंसियाँ और बड़े ब्रांड्स ने सोशल पोस्ट्स और बयानों में दुख जताया। शब्द कम पड़े, यादें ज्यादा थीं। कई लोगों ने उन्हें भारतीय विज्ञापन की अपनी आवाज कहा। संदर्भ के लिए यह रिपोर्ट देखें, Hindustan Times का ओवरव्यू। साथ ही, मीडिया ट्रेड कवरेज में exchange4media का लेख उनकी विरासत पर अच्छी नजर डालता है।
हमारे लिए सीख क्या है? विज्ञापन सिर्फ बेचने का काम नहीं, समझने का काम भी है। इंसाइट इंसान से आती है, और भाषा जितनी साफ हो, असर उतना गहरा होता है। उनके काम में यह सब साफ दिखता है।
एजेंसियाँ और ब्रांड्स: सम्मान, याद, और कृतज्ञता
सहकर्मियों ने सम्मान के साथ उन्हें याद किया। ब्रांड्स ने उनकी कहानियों को अपनी पहचान की जड़ बताया। क्रिएटिव कम्युनिटी ने कृतज्ञता जताई कि उन्होंने सोच की दिशा दिखा दी।
सीख: क्रिएटिव लोगों के लिए 5 साफ सबक
- इंसाइट इंसानों से आती है: लोगों को देखें, सुनें, फिर लिखें। रिसर्च के साथ असली जिंदगी जरूरी है।
- भाषा सरल रखें: छोटे वाक्य, साफ शब्द। मेसेज बिना मेहनत के समझ आए।
- आइडिया बड़ा, प्रोडक्शन बाद में: पहले सोच पक्की करें। स्केल और चमक बाद में जोड़ें।
- हास्य मदद करता है: हल्की मुस्कान से मेसेज दिल में उतरता है। टोन गरम रखें, तीखा नहीं।
- टीम के साथ भरोसा रखें: ब्रीफ साफ दें, फीडबैक सच्चा रखें। क्रेडिट साझा करें, काम बेहतर होगा।
कैसे याद रखें: काम देखें, सीखें, और बांटें
उनके एड्स फिर से देखें, नोट करें कि कहानी कहाँ से आई। उसी सादगी से लिखने और सोचने की कोशिश करें। अच्छी चीजें टीम के साथ शेयर करें, और नए लोगों को प्रेरित करें।
आज का दिन शोक का है, और यादों का भी। Piyush Pandey की विदाई हमें एक बड़े इंसान और बड़े क्रिएटिव से दूर ले गई। उनकी विरासत हमें सिखाती है कि सीधी भाषा और सच्ची इनसाइट हमेशा काम करती है। यह भी सीख है कि आइडिया इंसान के दिल से शुरू होता है, और वहीं जाकर पूरा होता है।
उन्हें सम्मान देने का सबसे अच्छा तरीका है उनके काम को फिर से देखना, सीखना, और बेहतर लिखना। अपनी टीम के साथ उनकी एक पसंदीदा एड याद करें, और वह कहानी आगे बांटें।