क्या घर में दिवाली की खुशबू महसूस हो रही है? यही तो Vasubaras(Vasubaras 2025) की खूबी है, शुरुआत ही खुशी से होती है. इस दिन गाय और बछड़े की पूजा होती है, परिवार के लिए अच्छा समय माना जाता है. इस गाइड में आपको vasubaras 2025 की तारीख, सही समय, आसान पूजा स्टेप्स और इस साल के खास पॉइंट्स एक जगह मिलेंगे.
Highlights

Vasubaras 2025 कब है और इसका मतलब क्या है
Vasubaras दिवाली की शुरुआत का दिन है. मान्यता है कि गाय समृद्धि, पवित्रता और मातृत्व का प्रतीक है. घर में शांति और भरपूरता की कामना के साथ पूजा की जाती है. श्रीकृष्ण और लक्ष्मी से इसका गहरा जुड़ाव माना जाता है, इसलिए इसे शुभ शुरुआत की तरह देखा जाता है. कई जगह इसे Govatsa Dwadashi भी कहते हैं. यह दिन परिवार, कृतज्ञता और सरल आस्था का त्योहार है, जो दिवाली की रौनक को शुरू करता है.
तारीख और तिथि: 17 अक्टूबर 2025, द्वादशी
इस साल Vasubaras 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को है. द्वादशी तिथि 17 अक्टूबर को सुबह 11:12 बजे से शुरू होकर 18 अक्टूबर दोपहर 12:18 बजे तक रहेगी. मुख्य पूजा 17 अक्टूबर को करें, यही दिन vasubaras 2025 का मुख्य पर्व है. तारीख और बेसिक जानकारी के लिए आप Moneycontrol की रिपोर्ट भी देख सकते हैं.
क्यों मनाते हैं: गौ माता का आभार
गाय को मातृत्व और पालन का रूप माना गया है. हम दूध और पोषण के लिए धन्यवाद देते हैं. मान्यता है कि सच्चे मन से पूजा करने पर लक्ष्मी और कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है. घर में सुख, सेहत और समृद्धि बढ़ती है. यही इसकी आत्मा है.
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2025 के खास पॉइंट्स: दिवाली की शुरुआत
vasubaras 2025 के साथ दिवाली की तैयारियां तेज होती हैं. इस बार यह 17 अक्टूबर को है, इसके बाद मुख्य दिवाली उत्सव 19 से 20 अक्टूबर के बीच होंगे. यही वह पल है जब त्यौहारों की खुशी सच में शुरू हो जाती है.
घर पर Vasubaras 2025 कैसे मनाएं: आसान स्टेप-बाय-स्टेप
घर को साफ रखें, रंगोली बनाएं, दीये जलाएं. फिर सरल पूजा करें. अगर पास में गाय नहीं है, तो गाय और बछड़े की फोटो या मूर्ति से भी पूजा कर सकते हैं. सामग्री रखें, जैसे हल्दी, कुमकुम, फूल, ताज़ा घास, गुड़, पोहा और फल. समय हो तो परिवार संग एक छोटी कथा और प्रार्थना करें. संदर्भ के लिए यह सरल Govatsa Dwadashi 2025 गाइड मदद करेगा.
सुबह की तैयारी: सफाई, रंगोली, दीये
सबसे पहले घर और पूजा स्थान साफ करें. गाय और बछड़े की आकृति वाली रंगोली बनाएं. दरवाजे पर दीये जलाएं, माहौल पॉज़िटिव बनता है. कोशिश करें कि प्राकृतिक रंग और फूलों का इस्तेमाल करें.
पूजा विधि और सामग्री: सरल तरीके
गाय या उसकी मूर्ति, तस्वीर या पोस्टर को हल्दी, कुमकुम और फूल से सजाएं. जल अर्पित करें, फिर ताज़ा घास रखें. गुड़, पोहा और फल चढ़ाएं. परिवार की सेहत, सुख और बरकत की प्रार्थना करें. कई लोग आज के दिन व्रत भी रखते हैं, चाहें तो हल्का व्रत रखें.
बच्चों और परिवार के लिए मजेदार आइडियाज
कृष्ण और गाय से जुड़ी छोटी कहानियां सुनाएं. बच्चे रंगोली में मदद करें या छोटे धन्यवाद कार्ड बनाएं. शाम को परिवार संग फोटो लें, शुभकामनाएं भेजें, और घर का बना मीठा बांटें.

परंपराएं, क्षेत्रीय नाम और सम्मानजनक तरीके
भारत में जगह के हिसाब से नाम और तरीके बदलते हैं, भावना वही रहती है. गाय के प्रति प्यार और आभार. पूजा करते समय पशु और पर्यावरण का सम्मान जरूरी है. सादगी रखें, दिखावे से बचें.
महाराष्ट्र, उत्तर भारत और गुजरात में नाम
महाराष्ट्र में इसे Vasubaras कहते हैं. उत्तर भारत में Govatsa Dwadashi प्रचलित है. कई जगह, खासकर गुजरात में, इसे Wagh Baras भी कहा जाता है. नाम अलग, भाव एक, गाय के प्रति धन्यवाद.
पशु-कल्याण और पर्यावरण के टिप्स
गाय को भीड़ या तेज शोर से न डराएं. जबरदस्ती कुछ खिलाने की कोशिश न करें. केमिकल रंगों से बचें, प्राकृतिक सजावट चुनें. पास की गौशाला में घास, चारा या दान दें. जगह साफ रखें.
17 अक्टूबर 2025 को vasubaras 2025 हमें फिर याद दिलाएगा कि कृतज्ञता ही असली पूजा है. गाय के प्रति आभार, परिवार की भलाई की प्रार्थना, और दिवाली की प्यारी शुरुआत. छोटी, सोच-समझकर की गई पूजा काफी है. आप बस मन से करें, माहौल खुद खूबसूरत हो जाएगा.